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मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा वाराणसी विकास प्राधिकरण के पक्ष में जनहित याचिका खारिज

मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा वाराणसी विकास प्राधिकरण के पक्ष में जनहित याचिका खारिज

 

वाराणसी विकास प्राधिकरण, वाराणसी के विरुद्ध याची श्री देवाशीष पाल, कौटिल्य सोसाइटी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा पारित आदेशों के क्रम में, गंगा नदी के उच्चतम बाढ़ स्तर (H.F.L.) से 200 मीटर के दायरे में तथा गंगा तट के 200 मीटर के भीतर आने वाले निर्माण निषेध क्षेत्र में किए जा रहे अवैध एवं अनधिकृत निर्माणों के ध्वस्तीकरण हेतु एक नवीन जनहित याचिका काशी उत्कर्ष फाउंडेशन एवं देवाशीष पाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के रूप में दिनांक 05.07.2025 को मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में प्रस्तुत की गई थी।

 

इस प्रकरण में वाराणसी विकास प्राधिकरण की ओर से अधिवक्ता श्री रवि प्रकाश पांडेय, इलाहाबाद द्वारा प्रभावी एवं तथ्यों पर आधारित पैरवी करते हुए मा० न्यायालय के समक्ष यह स्पष्ट किया गया कि उपरोक्त विषय पूर्व में ही मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद से स्थानांतरित होकर कौटिल्य सोसाइटी व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य के रूप में मा० राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT), नई दिल्ली में विचाराधीन है।

 

NGT के समक्ष इस प्रकरण में गंगा नदी के H.F.L. का सीमांकन, उसकी सुरक्षा तथा जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना (दिनांक 07.10.2016) में वर्णित दायित्वों के निर्वहन संबंधी कार्यवाही पहले से ही प्रचलित है। ऐसी स्थिति में समान विषयवस्तु पर एक अन्य जनहित याचिका का पुनः मा० उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना विधिसम्मत नहीं है।

 

इन तर्कों को स्वीकार करते हुए मा० उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा दिनांक 09.07.2025 को प्रथम ही सुनवाई में उपर्युक्त जनहित याचिका को निरर्थक एवं पोषणीय न होने के आधार पर खारिज कर दिया गया।